पंचनद शोध संस्थान वैशाली अध्ययन केंद्र द्वारा मॉब लिंचिंग पर गोष्ठी का सफल आयोजन

गाजियाबाद 21 जुलाई : मॉब लिंचिंग या भीड़ हिंसा और इन घटनाओं को लेकर हंगामाखेज खबरों व संवाद की प्रस्तुति के पीछे कुछ राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय समूह सक्रिय हैं। जो विकास की दिशा में अग्रसर भारत देश के सामाजिक ताने बाने को छिन्न भिन्न करने पर तुले हैं। बौद्धिक स्तर पर विचार विमर्श के साथ न्याय प्रक्रिया में सुधार, उचित कारणों पर बगैर भेदभाव चर्चा और समान आर्थिक विकास आदि तरीकों से ऐसी घटनाओं से मुक्ति पाई जा सकती है। पंचनद शोध संस्थान के वैशाली अध्ययन केंद्र द्वारा इंद्रप्रस्थ इंजिनीयरिंग कालेज में इस विषय पर आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने यह विचार व्यक्त किये।

पाञ्चजन्य के संपादक हितेश शंकर मुख्य वक्ता थे। सचिव कुमार अमिताभ ने विषय परिचय और शोध संस्थान अध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में पत्रकार साहित्यकार, वकील, अवकाश प्राप्त जज, सेनाधिकारी व गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। पत्रकार उमेश कुमार, मनोज वर्मा, कल्याण कुमार, सुभाष झा, अर्जुन देशप्रेमी, संजय मिश्रा,असित कुमार तिवारी, वकील अनिल सक्सेना, साहित्यकार विनय कुमार दुबे सहित कई महत्वपूर्ण लोग शामिल थे।

श्री हितेश ने ऐसी घटनाओं को शर्मनाक बताते हुए कुछ खास समूहों द्वारा बहुसंख्यक वर्ग को लक्ष्य बनाए जाने और चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा ऐसा लगता है, सत्ता के खेल में पिछड़ गए लोग जानबूझकर इस देश की बहुसंख्यक जनता को दबाव में लाने के लिए , समाजिक ताने बाने को छिन्न भिन्न करने के लिए ऐसी हरकतें कर रहे। मामला चोरी, झगड़ा या अन्य कुछ होता है उसे कुछ और रंग दे दिया जाता है। कई बार बिल्कुल झूठ आरोप धार्मिक आधारों पर लगाने के आ रहे हैं।
अन्य वक्ताओं ने विभिन्न पहलुओं से बात रखी जिसमे सभी ने इस बात पर पूरा जोर दिया किया कि लिंचिंग के वास्तविक कारण पर बात की जाए, मुलम्मा न उढ़ाया जाए। मीडिया की भूमिका को लेकर भी विभिन्न वक्ताओं ने बेहद आलोचना की। सभी ने कहा, ऐसा लगता है कि बगैर सोचे समझे या किसी दबाव में आकर सामान्य घटनाओं को भी धर्म आधारित रंग डालकर लिंचिंग की घटना के रूप में पेश कर दिया जाता है।
कुछ वक्ताओं ने न्याय की अनुपलब्धता व देरी को भी इसका एक बड़ा कारण माना। न्याय में देरी से परेशान लोग अब खुद न्याय लेने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। पुलिस में व्याप्त भ्रष्टाचार को भी एक बड़ा कारण माना गया। कहा गया कि अक्सर चोर उचक्के पाकिट मार पुलिस के हाथों देने पर बच निकलते हैं। ऐसे में लीग सीधा सजा देने में यक़ीन करने लगे हैं।
गोकशी को लेकर भी बातें उठी जिसमे भावनाओं के आहत होने और कई बार पुलिस द्वारा झूठे फंसा दिए जाने की बातें भी सामने आई।
कुछ वक्ताओं ने तो गरीबी व बेरोजगारी को भी बड़ा कारण बताया। स्वामी विवेकानंद जी का जिक्र करते हुए बताया गया कि उन्होंने कहा था कि समाज के एक या दो वर्ग यदि साधन सुविधाओं से वंचित रह जाएं और खाई बढ़ती जाए तब भी ऐसी घटनाओं में वृद्धि होने लगती है।
अतः समावेशी विकास, उचित न्याय, संविधान में विश्वास, भ्रष्टाचार में कमी और आम लोगों में जागरूकता से इन सब पर काबू पाया जा सकता है।

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