पंचकूला, 23 जुलाई : चीन ने भारतीय उद्योग जगत को तबाह रचने की साजिश रची है। इसके लिए लागत से भी कम मूल्य पर यहां सामान बेचा जा रहा है। चीनी का सामान का बहिष्कार करके ही भारतीय हितों की रक्षा की जा सकती है। पंचनद शोध संस्थान की ओर से रविवार को सेक्टर-10 स्थित गुर्जर भवन में आयोजित विचार गोष्ठी में कुछ इसी प्रकार का निष्कर्ष सामने आया। गोष्ठी में पंचनद के कार्यकारी अध्यक्ष शिक्षाविद डॉ. कृष्ण सिंह आर्य, दैनिक ट्रिब्यून के पूर्व संपादक एवं माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व वीसी राधेश्याम शर्मा, स्तंभकार पीके खुराना आदि ने विचार रखे।
डॉ. कृष्ण सिंह आर्य ने कहा कि चीनी उत्पादों का मुकाबला करने के लिए जहां सरकारी स्तर पर पॉलिसी बननी चाहिए वहीं आम नागरिकों को भी इन उत्पादों का बहिष्कार कर देशभक्ति का परिचय देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका में भी विदेशी सामान प्रचूर मात्रा में बिकता है, लेकिन वहां इनके लिए मानक तय किए गये हैं, जिसके चलते वहां स्वास्थ्य के लिए हानिकारक सामान सप्लाई नहीं किया जा सकता। वहीं भारत में इस प्रकार के प्लास्टिक के खिलौने आयात किए जा रहे हैं जो बच्चों के लिए काफी नुकसानदायक है। भारत सरकार को भी चाहिए कि यहां आने वाले सामान की गुणवत्ता के मानक तय करे।
गोष्ठी के दौरान उद्योगपति रमाकांत भारद्वाज ने कहा कि छोटी-छोटी चीजें खरीदते समय भी हमें देशहित का ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कई बार सोशल मीडिया पर भ्रमित करने वाले तथ्य वायरल हो जाते हैं, जिम्मेदार नागरिकों को इनके प्रभाव में नहीं आना चाहिए। स्तंभकार पीके खुराना ने नागरिकों से नव प्रयोगों को प्रोत्साहित करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर नए आइडिया का है। जो लीक से हट कर सोचेगा वहीं कुछ नया और खास कर सकेगा। इस मौके पर शोधार्थी नीरज अत्री, वरिष्ठ पत्रकार अशोक मलिक, समाजसेवी डॉ. एसके पूनिया, बृजदत्त शर्मा, संदीप बी. सिंहल, हेमंत शर्मा आदि मौजूद रहे।