
30 अगस्त 2019 । पंचनद शोध संस्थान, कुरुक्षेत्र अध्ययन केंद्र, द्वारा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में शुक्रवार को ‘अनुच्छेद 370 के आगे क्या’ विषय पर गोष्ठी आयोजित की गई । इस गोष्ठी के विषय प्रस्तुतकर्ता ‘इंटीग्रेटेड एंड होनर्स स्टडीज’ के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ.प्रदीप चौहान रहे । उन्होंने विश्विद्यालय के युवाओं को संबोधित करते हुए कहा कि – “कश्मीर भारत का दिल है, जो अब जाके सही मायनों में धड़क रहा है”। उन्होंने अनुच्छेद 370 हटने के फायदों से छात्रों को अवगत कराया ।डॉ.चौहान ने अपने संभाषण में जम्मू और कश्मीर को केन्द्र प्रशासित प्रदेश बनाने के फायदे गिनाए । उनके अनुसार ऐसा करके केंद्र सरकार ने दो महत्वपूर्ण लाभ सुनिश्चित कर दिए । सर्वप्रथम कश्मीर जैसे नाज़ुक इलाके में अब केंद्र आसानी से अपने कानून लागू कर पाएगा । दूसरा यह कि केन्द्र-शासित बनने के बाद प्रदेश में फण्ड बढ़ जाएंगे, जिससे स्थानीय लोगों का ही कल्याण होगा । धारा हटने के बाद प्रदेश में पर्यटन भी बढ़ेगा, और सुशाशन आएगा । सही मायनों में अब कश्मीर में लोकतंत्र की स्थापना होगी ।अनुच्छेद 370 हटाने से जम्मू और कश्मीर के अल्पसंख्यक वर्ग का विकास होगा । उन्होंने कश्मीर के गोरखों का उदाहरण देते हुए कहा कि वे सन् 1850 से कश्मीर में है, परंतु आज़ादी के 70 साल बाद भी उन्हें वहाँ के स्थायी निवासियों में नहीं गिना जाता । अनुच्छेद 370 के हटने से जम्मू और कश्मीर के अल्पसंख्यकों के साथ सालों से होता आ रहा है भेदभाव खत्म होगा ।अनुच्छेद 370 के हटने के बाद कुछ आलोचकों का कहना था कि इस धारा को हटाने के लिए जो तरीका अपनाया गया वह असंवैधानिक था । इस आलोचना पर डॉ. चौहान ने कहा कि “अनुच्छेद 370 संवैधानिक रूप से अंशकालिक थी । अंशकाल 2-4 साल या दस साल या ज़्यादा से ज़्यादा 20 साल तक की सीमित अवधि के लिए होता है । भला कोई अंशकालिक कानून सत्तर सालों तक कैसे चल सकता है ?”गोष्ठी में इस विषय से जुड़े और भी अनेक विचारो पर चर्चा की गई । गोष्ठी में विश्विद्यालय के अनेक प्रॉफेसर भी मौजूद थे जिसमें डॉ मधुदीप, डॉ सी.डी.एस.कौशल, डॉ. बंसीलाल, डॉ.आनंद, डॉ.निर्मला चौधरी व डॉ.अंजलि प्रमुख रूप से उपस्थित थे ।