माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल के कुलपति प्रो. बी.के. कुठियाला ने कहा है कि भारत में आर्थिक असमानता समरसता के अभाव का बड़ा कारण है। जब तक व्यक्ति की पहचान जाति, रंग, धर्म व व्यवसाय के आधार पर होती रहेगी तब तक समरसता के भाव के लक्ष्य को पाना संभव नहीं होगा। व्यक्ति की पहचान राष्ट्र के नाम से होनी चाहिए। प्रो. बी.के. कुठियाला बुधवार की शाम को गुरू जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, हिसार के चौधरी रणबीर सिंह सभागार के सेमीनार हाल-1 में पंचनद शोध संस्थान, अध्ययन केन्द्र, हिसार के सौजन्य से डिजिटल इंडिया एवं समरस भारत विषय पर हुई विचार गोष्ठी के उद्घाटन समारोह को बतौर मुख्य वक्ता सम्बोधित कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. एम.एस. तुरान उपस्थित रहे।
प्रो. बी.के. कुठियाला ने कहा कि भारत में परिवर्तन का क्रांति काल है। आम व्यक्ति में भी उन्नति का भाव जागृत हो रहा है। आज हर व्यक्ति के पास अपना एक सपना है और वो उसे पूरा करने का प्रयास कर रहा है। Prof.Kuthiala 1उन्होंने कहा कि भारतीय समाज का ताना बाना आपस में एक दूसरे से गुथा हुआ है। हम स्वतंत्र होते हुए भी एक दूसरे पर निर्भर हैं। हमें इसी भाव को समझते हुए अपने भीतर एकात्मकता लानी होगी।
डिजिटल इंडिया को समरस इंडिया बनाना होगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति अपने की बजाय सबके बारे में सोचे। यह मान ले कि सपना हमारा नहीं सबका है तो समाज में समरसता पैदा हो जाएगी। उन्होंने डिजिटल तकनीक के कारण होने वाली समस्याओं का जिक्र करते हुए उनके बारे में आगाह भी किया। प्रो. टंकेश्वर कुमार ने कहा कि तकनीक तोड़ने का नहीं जोड़ने का काम करती है।
तकनीक वही सार्थक है जो देश के निर्माण के लिए प्रयोग हो। उन्होंने कहा कि समरसता के लिए जरूरी है कि हर व्यक्ति अपना योगदान दे। अपने अन्दर संतुष्टि, सेवा, सहयोग व सम्पर्क के भाव पैदा करे। उन्होंने प्राचीनकाल का उदाहरण देते हुए कहा कि रामायण के समय भी भारत की तकनीक उच्च स्तर की थी तथा संवाद की स्वतंत्रता थी। तभी उस काल को हम राम राज्य कहते हैं। मंच संचालन पंचनद शोध संस्थान, अध्ययन केन्द्र के उपाध्यक्ष ज्ञानचंद बंसल तथा धन्यवाद प्रस्ताव अध्यक्ष डा. जगबीर सिंह किया। इस अवसर पर मेजर करतार सिंह व डा. सुरेश चन्द गोयल के अतिरिक्त, डा. विजय शर्मा के अतिरिक्त विभिन्न विश्वविद्यालयों से शिक्षक व अधिकारीगण उपस्थित थे।