पंचनद शोध संस्थान दिल्ली द्वारा 14.01.2016 प्रगति मैदान में विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी का विषय था ‘संवाद का स्वराज‘। गाोष्ठी में प्रमुख वक्ताओं में श्री तरण विजय, श्री बजरंग मुनि तथा श्रीमति मधु किश्वर रहे।
श्री तरुण विजय के भारत में संवाद भी प्राचीन परमपराओं का उल्लेख किया किस प्रकार भारत की प्राचीन परम्परा में सभी के विचारों को सुना जाता है उनका सम्मान किया जाता था और श्रेष्ठ विचार को स्थापित किया जाता था। उन्होंने रामायण महाभारत में संवाद के उदाहरण बताये । मण्डन मिश्र और शंकर के संवाद तथा गार्गी के साथ संवाद की भी श्रेष्ठ परम्परा का उल्लेख किया।
श्री बजरंग मुनि के अपने वक्तय में कहां कि अग्रेजो के आने के पश्चात भारत में संवाद की परम्परा शिथिल हुयी। उन्होंने कहा कि 1947 में यदि ठीक से संवाद चला होता तो देश का विभाजन नही होता आज भी एक दूसरे के विचारों को सम्मान न करके समाज में कटुता निर्माण कर रहे है राजनीतिक प्रभाव संवाद को विवाद में बदलने का कार्य कर रहा है।
श्रीमति मधु किश्वर ने कहां की लम्बे समय से एक ही विचार धारा तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग को पोषित कर रही है। इसका परिणाम यह हो रहा है कि दक्षिणपंथी और वामपंथी विचार धारायें दो भिन्न धु्रवों के रूप में खडी हो गयी है। वाम विचार धारा अपनी विचार धारा के सामने किसी विचार धारा को टिकने नही देती है। इसी से आज समाज में असहिष्णुता का वातावरण बना है। जो विचार धारा आज तक सम्पूर्ण तन्त्र पर हावी रही आज इसे दूसरी विचार धारा सहन नही हो रही है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पंचनद शोध संस्थान के निदेशक प्रो. बी के कुठियाला ने की । उन्होंने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि पंचनद का कार्य संवाद से विवाद को दूर करना और आपसी विमर्श के माध्यम से सुसंवाद को स्थापित करना है। संवाद में कभी विवाद नही होना चाहिए ।
कार्य में मुख्य रूप से पंचनद शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. अजय कुमार दिल्ली प्रान्त के सह-समन्वयक डॉ. कुष्णचन्द्र पाण्डे तथा हरियाणा प्रान्त के समन्वयक डॉ. ऋषि गोयल उपस्थित रहे। कार्य क्रम संचालन पूर्वी दिल्ली अध्ययन केन्द्र के अध्यक्ष श्री संजय मिŸाल के किया।