Swami Vivekanand

सम्पादक की कलम से………………………. स्वामी विवेकानंद के सार्ध शती वर्ष में जब हम एक ओर स्वामीजी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों, सिद्धान्तों एवं मूल्यों का पुनरावलोकन करते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है मानों उनके द्वारा प्रतिपादित आदर्शों एवं सिद्धान्तों की दुहाई तो बार-बार और लगातार दी जाती है किन्तु धरातल के स्तर पर दृष्टि डालने से…