कुरान सही, मुस्लिम समुदाय के ठेकेदार कर रहे मनमानी : आर्य

पंचनद की विचार गोष्ठी में निकाह-हलाला पर गंभीर चर्चा

पंचकूला, 22 जुलाई : पंचनद शोध संस्थान की विचार गोष्ठी में मुस्लिम पंथ की रस्में निकाह-हलाला पर गंभीर चिंतन हुआ। गोष्ठी के मुख्य वक्ता डॉ.मधुकर आर्य ने कहा कि मुस्लिम पंथ की अनेक कुरीतियों के कारण महिलाओं का शोषण हो रहा है। उन्होंने कहा कि कुरीतियां तथाकथित धर्म के ठेकेदारों द्वारा कुरान आदि ग्रंथों की गलत व्याख्या के कारण पनपी हैं। रविवार को पंचकूला के सेक्टर-6 स्थित हंसराज पब्लिक स्कूल में आयोजित गोष्ठी में बड़ी संख्या में शहर के गणमान्य नागरिकों ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी का संचालन दिनेश कुमार ने किया।

डॉ. मधुकर आर्य ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद शाह को अपनी अंतर्चेतना से ज्ञान आया। वे कंबल ओढ़ कर साधना में बैठते थे और ऊपर से ज्ञान आता था। उसी ज्ञान को हजरत अली कलमबद्ध करते थे। यही ज्ञान कुरान के तौर पर संकलित हुआ। उन्होंने कहा कि कुरान में उसूलों और मानवता की बात कही गयी है। इसमें कहीं भी अत्याचारों और दूसरों के शोषण का समर्थन नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि बाद में धर्म के तथाकथित ठेकेदारों ने अपने स्वार्थों के कारण धर्म के नाम पर कुरीतियों को बढ़ाया दिया। इन कुरीतियों का सबसे ज्यादा खामियाजा मुस्लिम महिलाएं भुगत रही हैं। उन्होंने कहा कि कुरान में 3 तलाक मान्य नहीं है। उसमें दोनों खानदानों की सहमति और खासकर महिला की इच्छा से तलाक की बात कही गयी है, लेकिन बाद में धर्म के ठेकेदारों ने 3 तलाक और उससे भी आगे बढ़कर हलाला जैसी कुप्रथाओं को बढ़ावा दिया। उन्होंने कहा कि हलाला की प्रथा महिलाओं के किसी अन्य व्यक्ति के साथ विवाह करने, शारीरिक संबंध बनाने पर विवश करती है। इससे महिलाओं की सामाजिक गरिमा का कोई अस्तित्व नहीं बचा।

उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब की टिप्पणियों का संकलन हदीस के रूप में प्रचलित है। हदीस में भी इन कुरीतियों का कोई स्थान नहीं है। विचार गोष्ठी में दैनिक ट्रिब्यून के पूर्व संपादक एवं पंचनद शोध संस्थान के मार्गदर्शक राधेश्याम शर्मा, कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. केएस आर्य, सुमंतो घोष, प्रो. अद्वितीय खुराना, सुखदेव धीमान, सुमन अग्रवाल, रमाकांत भारद्वाज, दिवाकर कुमारिया आदि मौजूद थे।

गौरतलब है कि पंचनद शोध संस्थान बुद्धिजीवियों का ऐसा समूह है जो उत्तर भारत में 1984 से विभिन्न समसामयिक विषयों पर जागृति उत्पन्न करने का काम कर रहा है। इसी के तहत पंचकूला अध्ययन केंद्र की ओर से महीने के तीसरे रविवार किसी एक समसामयिक विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया जाता है। इसमें समाज के विभिन्न वर्गों से श्रोताओं को आमंत्रित किया जाता है ताकि वह अपना स्वतंत्र मत निर्माण कर राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकें।

 

 

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