परिवर्तन और विकास की यदि यही गति बनी रहती है तो 2035 तक भारत शीर्ष पर होगा – श्री रोहित वासवानी ।27 जुलाई 2019 उत्तरी दिल्ली । केन्द्रीय बजट 2019 एक विजन डॉक्यूमेंट के रूप में प्रस्तुत हुआ जिसमें सरकार ने भविष्य के 10 वर्षों की कार्यनीति एवं 5 वर्षों की कार्ययोजना को संसद के पटल पर प्रस्तुत किया । इस बार पिछली सभी परम्पराओं को तोड़कर नई दिशा में बजट प्रस्तुत किया गया । इससे पहले अटल सरकार में भी पुरानी परम्पराओं को तोड़ा गया था जिसमें बजट सायं 5 बजे प्रस्तुत होने के बजाए प्रातः 11 बजे प्रस्तुत किया जाने लगा । इस वर्ष ब्रीफकेश की परम्परा को भी तोड़ा गया और सभी नकारात्मक चीजें बन्द हुई तथा बजट सकारात्मक रहा । बजट में अधिकतर सरकार की योजनाओं की बात कही गई जिनमें आयुष्मान भारत, स्वच्छ भारत, प्रधानमन्त्री ग्राम सड़क योजना, मनरेगा, हर घर विजली, उज्ज्वला योजना, बाल विकास योजना, मुद्रा योजना, उड़ान योजना, स्टडी इन इंडिया योजना आदि प्रमुख रही । इन योजनाओं को जमीन पर लागू करने की बात कही गई । पुरानी योजनाओं के बजट में बढोतरी की गई । उक्त विचार पंचनद शोध संस्थान उत्तरी दिल्ली अध्ययन केन्द्र द्वारा आयोजित संगोष्ठी में “भारतीय वित्त सलाहकार समिति” के अध्यक्ष श्री रोहित वासवानी ने प्रस्तुत किए ।उन्होने कहा कि इस बार न्यू इंडिया ट्रांसफार्मेशन और ढांचागत परिवर्तन पर जोर दिया गया । वर्तमान में भारत की अर्थव्यवस्था छठे पायदान पर है जो जल्दी ही पांचवे पायदान पर पहुंच जाएगी । भारत को शीर्ष तक पहुंचना है और यह परिवर्तन का समय है । परिवर्तन में समय लगता है तथा परिवर्तन का समय दर्दभरा भी होता है यदि इसी गति से परिवर्तन होता रहा तो इस लक्ष्य को प्राप्त करने में करीब 25 वर्ष और लगेंगे यदि गति धीमी होती है तो भारत को शीर्ष अर्थव्यवस्था पर पहुंचने में और अधिक समय लगेगा । यदि इसी गति से भारत विकास के पथ पर अग्रसर रहा तो 2035 तक भारत पहले स्थान पर पहुंच जाएगा ।“केन्द्रीय बजट 2019 समीक्षा एवं विश्लेषण” विषय पर पंचनद शोध संस्थान उत्तरी दिल्ली अध्ययन केन्द्र की मासिक संगोष्ठी वरिष्ठ मनोरंजन केन्द्र केशवपुरम दिल्ली में आयोजित की गई जिसमें विषय की प्रस्तुति “भारतीय वित्त सलाहकार समिति” के अध्यक्ष श्री रोहित वासवानी जी ने की । कार्यक्रम का संचालन अध्ययन केन्द्र की संयोजिका डॉ.सुनीता शर्मा ने किया जिसमें पंचनद शोध संस्थान के पूर्णकालिक कार्यकर्ता श्री गोविन्द वल्लभ भी उपस्थित रहे । कार्यक्रम में उत्तरी दिल्ली के बुद्धिजीवी जन उपस्थित रहे और सभी ने संगोष्ठी में चर्चा-विमर्श किया । संगोष्ठी में डॉ.त्रिवेदी जी ने जनसंख्या नियन्त्रण की बात कही और तर्क दिया कि जिस प्रकार भारत का विकास आज की जनसंख्या के आधार पर हो रहा है भविष्य में जनसंख्या पर यदि नियन्त्रण नहीं पाया गया तो यह विकास उस लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाएगा । गोष्ठी में श्री हरिओम महाजन, श्री शिवकुमार जी, श्री गोयल जी, श्री मृत्युंजय प्रताप सिंह, श्रीमति मीना अरोड़ा आदि उत्तरी दिल्ली अध्ययन केन्द्र के कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे ।