करनाल : एक भारतीय के निगाह मे उसका देश कैसा होना चाहिए, हमारे पूर्वजों एवं देश को आजाद कराने की मुहिम में अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले क्रांतिकारियों ने किस तरह के भारत के निर्माण का सपना देखा था | एक बुद्धिजीवी, कलाकार, संस्कृति संवाहक, साहित्यकार, राजनेता, युवा अथवा किसान/ मजदूर कैसा भारत चाहता है| एक आदर्श भारत कैसा होना चाहिय, हमारे सपनों का भारत कैसा होना चाहिए| ऐसे तमाम रविवार को सेक्टर-14 स्थित कृष्ण मंदिर मे चर्चा का केंद्र रहे| मोका था पंच्न्ध शोध संस्थान दूवारा आयोजित संगोष्ठी का जिसका विषय था, कैसा हो हमारे सपनो का भारत ? कार्यक्रम मे न सिर्फ भारत पर चर्चा की गयी बल्कि एक आदर्श भारत के निर्माण मे जो अड़चन एवं चुनोतियाँ है | पर मुख्य प्रवक्ता प्रोफेसर बृजकिशोर कुठियाला वीसी माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता शोध संस्थान ने कहा की एक आदर्श देश की परिकल्पना आदर्श समाज के माध्यम से ही साकार हो सकती है |
प्रो. बृजकिशोर ने कहा कोई भी विचार धारा पूर्ण नहीं है और न ही कोई समाज | ऐसे मे उस भारत का निर्माण कैसे किया जाए जिसमे सबसे तबकों की उपेक्षा पूरी हो सके, इसके लिए कोई पैमाना तय कर पाना मुश्किल है बावजूद इसके कुछ तत्व है जिनके समावेश मे सपनों के भारत को साकार रूप दिया जा सकता है | इनमे सबसे अहम् है सम्पक्ष्ता, इसके अलावा सुरक्षा, सक्षमता, समरसता, सुसंगटन, सुसंवाद एवं सुंस्कार शामिल है | प्रोफेसर कुठियाला ने इन शब्दों की मोजूदा संदर्भ में व्यापक व्याख्या भी की |
जंहा सम्पक्ष्ता एवं विपक्षता के बीच व्यापक अंतर है | जंहा समाज जातियों, गोत्रों, समुदायों आदि विसंगति के बीच फंसा हुआ है | जंहा एक आबादी की मूल जरूरतें नहीं पूरी हो पा रही है | ऐसी स्थिति में आदर्श देश की परिकल्पना को व्यवहारिकता के धरातल पर उतरना थोडा मुश्किल हो जाता है | उन्होंने राजनितिक राष्ट्रवाद के बजाए सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को मजबूत करने पर जोर दिया | विभिन्न शोध एवं अध्यनों को संदर्भित करते हुए श्री कुठियाला ने कहा की यह भारत के नवनिर्माण का युग है | जिसमें आर्थिक, सांस्कृतिक, वैचारिक हर तरह की समृधि आएगी | मुख्य वक्ता ने दावा किया की अगले एक दशक में भारत हर प्रकार से वैश्विक पटल पर सबसे मजबूत शक्ति के तोर पर उबरेगा और दुनिया के तमाम देशों की अगुवाई भी करेगा | उन्होंने कहा हम एक आदर्श भारत निर्माण की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं | अन्य वक्ताओं ने अपने विचार रखे | आयोजन में विजय पाल , डॉ. बंसी लाल , सुमेर सैनी ने अपनी अहम् भूमिका निभाई |
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