संवाद में विचार को थोपा नहीं जाता,श्रेष्ठ विचार स्वयं जीतता है – प्रो. कुठियाला 

नई दिल्ली : “समाज की एक सामूहिक सोच होती है,जो आत्मविश्वास के साथ प्रभावी उपस्थिति दिखाकर अपनी शक्ति का परिचय देती है | 2012 में चीन भारत के प्रति बेहद आक्रामक लगता था ,आज भारत ने केवल एलएसी पर ही नहीं हर मोर्चे पर चीन को सोचने के लिए विवश कर दिया है | जब कई दिशाओं से सत्य हमारे पास आएगा तो वह विचार बनेगा और यह विषय समाज तक अवश्य जाएगा | एक विचार जब बीज रूप में निकलता है तो उससे समाज की रचना करता है | शंकराचार्य का विचार शुद्ध और वैदिक था इसलिए काशी के विद्वानों ने उनको स्वीकार किया |” ये विचार पंचनद शोध संस्थान दिल्ली प्रांत द्वारा पीजीडीएवी कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रूप में व्यक्त किये | प्रो. कुठियाला ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर आन्दोलन से जो कारसेवक जुड़े थे उन्होंने मन्दिर निर्माण की कल्पना कहाँ की थी ,इसी तरह अस्सी के दशक में स्थापित पंचनद शोध संस्थान द्वारा बढ़ाया गया संवाद और विचार देश में नए परिवर्तन का साक्षी बनेगा | पंचनद शोध संस्थान के उपाध्यक्ष डॉक्टर अजय कुमार और निदेशक डॉक्टर कृष्ण चंद्र पांडेय, पीजीडीएवी कॉलेज के प्राचार्य डॉक्टर रवींद्र गुप्ता ,दिल्ली प्रांत समन्वयक संजय मित्तल और सह समन्वयक वेद प्रकाश ब डॉक्टर गोविंद बल्लभ ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर दिल्ली एनसीआर के 6अध्ययन केंद्रों के नए पदाधिकारियों की घोषणा और उनका परिचय किया गया।

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