हरियाणा में पिछले कुछ दिनों में हुए घटनाक्रम से पंचनद शोध संस्थान के सभी कार्यकर्ता दुःखी, क्षुब्ध, क्रोधित एवं निराष हुए हैं। हरियाणा प्रान्त का समाज आपसी सौहार्द्य एवं सहयोग के लिए जाना जाता है परन्तु आरक्षण संबंधित आन्दोलन से इस सच्चाई को तोड़ने का प्रयास हुआ है। यह असहनीय है। हम सबको समझना चाहिए कि जो भी अचल या चल सम्पत्ति है वह हम सबकी सांझी है और उसको जब हम हानि पहुॅंचाते हैं तो अपना ही नुकसान करते हैं, मानो अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना। जो हो गया उसकी तो निन्दा करनी ही चाहिए परन्तु भविष्य में ऐसा न हो इसका भी उपाय करना चाहिए। इसलिए
1. हरियाणा के जनमानस से अपील
हम सब मिलकर संकल्प करें कि परस्पर प्रेम पर आधारित सम्बन्धों को किसी भी परिस्थिति में बिगड़ने न दें। मतभेद हों तो भी उन पर बात करके सुलझाएं। क्योंकि हमारे आपस मतभेद हो सकते हैं परन्तु मनभेद कभी नहीं। किसी भी हालत में और कतई ऐसी हिंसा और तोड़फोड़ का मार्ग न अपनाएं। जो कुछ हुआ उसको सुधारने के लिए हम सब बैठ कर भाई-चारे को फिर से स्थापित करें। ऐसे समय में सोषल मीडिया का सकारात्मक व सक्रिय उपयोग करें। अफवाहें व नकारात्मक खबरें न फैलाएं और न फैलाने दें।
2. सामाजिक संस्थाओं से अपील
हरियाणा में अनेक सामाजिक संस्थाएं सक्रिय हैं और उन्होंने उल्लेखनीय और सराहनीय कार्य किया है। इन सभी संस्थाओं से अपील है कि तुरंत समाज के सभी वर्गों से संवाद स्थापित करें की उनमें भाई-चारे का भाव फिर से स्थापित हो। भविष्य में भी तनाव की स्थितियां बने तो हिंसा और तोड़फोड़ होने से पहले ही इन संस्थाओं के हस्तक्षेप से भाई-चारा टूटने न पाये।
3. राजनीतिज्ञों और राजनीतिक दलों से अपील
राजनीतिक क्षेत्र में व्यक्ति और संस्थाओं को यह समझना चाहिए कि यदि समाज टूटता है तो सबसे बड़ी हानि राजनैतिक हितों की होती है। आज जो कार्य अपने लिए आपको लाभकारी लगता है कल को वही आपके लिए कष्टप्रद साबित होगा इसलिए जाति और क्षेत्र आधारित न तो सोंचे और न ही ऐसा संवाद करें। व्यक्तिगत वार्ता में भी जातिगत भेदभाव प्रकट न हो।
4. हरियाणा सरकार से अपील
किसी भी राज्य प्रषासन का दायित्व समाज को जोड़कर रखने का होता है। यदि समाज के कुछ वर्ग असंतुष्ट होते हैं तो संवाद और विमर्ष के माध्यम से उनको संतुष्ट करना राज्य का ही दायित्व है। वर्तमान आन्दोलन के कारण से समाज में जो वैमनस्य उत्पन्न हुआ है उसका उपचार राज्य सरकार राजनीतिक स्तर पर न कर सामाजिक संस्थाओं के माध्यम से तुरंत करे एवं किसी भी तनाव की स्थिति में सद्भावना बनाये रखने के लिए गैर-राजनीतिक नागरिकों के समूहों की रचना करें।
5. केन्द्रीय सरकार से अपील
आरक्षण का विषय देष के विभिन्न भागों में बार-बार उठता है जिसके कारण से सामाजिक समरसता खण्डित होती है। मतभेद के होते हुए भी भारतीय समाज मंे समरसता दृढ़ होती जाए, इसके लिए बड़ा दायित्व केन्द्रीय सरकार का है। अपील है कि भारतीय समरसता आयोग का गठन किया जाय जो हर प्रकार के विघटन के कारणों का अध्ययन करके उनका उपाय सुझाने का काम करे।
हर नागरिक से हाथ जोड़कर विनती है कि न केवल वे हिंसा और तोड़फोड़ के कार्यों में सहभागिता न करे परन्तु आसपास के जो लोग इन कार्यों में संलग्न है उन्हें भी रोकने का साहस करें।
‘‘भूल कर भी मुख में, जाति पंथ की न बात हो,
भाषा प्रान्त के लिए, कभी न रक्तपात हो।
फूट का भरा घड़ा है, फोड़ कर बढ़े चलो,
भला हो जिसमें देष का, वो काम सब किए चलो।