Swami Vivekanand

सम्पादक की कलम से……………………….

swamiस्वामी विवेकानंद के सार्ध शती वर्ष में जब हम एक ओर स्वामीजी द्वारा प्रतिपादित आदर्शों, सिद्धान्तों एवं मूल्यों का पुनरावलोकन करते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है मानों उनके द्वारा प्रतिपादित आदर्शों एवं सिद्धान्तों की दुहाई तो बार-बार और लगातार दी जाती है किन्तु धरातल के स्तर पर दृष्टि डालने से निराशा ही हाथ लगती है। चाहे वो आध्यात्म की बात हो, चरित्र की बात हो या धर्म की व्याख्या की बात हो, सभी क्षेत्रों में उदारता एवं स्पष्टता का दृष्टिकोण स्वामीजी ने प्रतिपादित किया। आधुनिकता के इस दौर में हमारे पुरातन विचार विलुप्त होते जा रहे हैं। वे विचार जिसने मानव चेतना को समझा और मानवता को जागृत किया, आज विस्मृत हो गये हैं। आज से 150 वर्ष पूर्व जन्में स्वामी विवेकानंद ने उसे जीवित किया था। उन्हीं विचारों को संचारित करने का उद्देश्य बनाते हुए पंचनद ने विवेकानंद के मानव कल्याणकारी वचनों और उपदेशों के विभिन्न आयामों को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। स्वामीजी के विचार निःसंदेह मानव चेतना को विकसित करने के लिए उपयोगी होंगे।

आज के समाज में शिक्षक की भूमिका महत्वपूर्ण है। सफल शिक्षक ही सफल राष्ट्र का निर्माण कर सकता है। स्वामीजी के विचार श्रेष्ठ शिक्षक बनाने और उसकी भूमिका निर्धारित करने में सहायक हैं। आधुनिक समाज में संचार और संवाद का होना आवश्यक है। स्वामीजी की संचार दृष्टि आधुनिक समाज के सफल निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। विज्ञान चेतना और दर्शन का समन्वय होना चाहिए। विश्व चेतना का होना ही विज्ञान की प्रगति है। ये विचार भी आधुनिकता के इस दौर में प्रासंगिक हैं। प्रत्येक व्यक्ति का अपना आदर्श व्यक्तित्व होना चाहिए। अपने व्यक्तित्व से ही भारत राष्ट्र के महानायक के रूप में स्वामीजी ने सम्पूर्ण विश्व को अपना परिचय दिया। आज के समय में विवेकानंद के इन विचारों का होना अत्यंत आवश्यक है। हमने इस शोध पत्रिका के द्वारा उसे लोगों तक पहुॅंचाने का प्रयास किया है। पंचनद शोध संस्थान की वार्षिक शोध पत्रिका के इस अंक में स्वामी विवेकानन्द के विचारों के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा प्रस्तुत है। लेखकों ने विवेकानन्द के उपदेशों को अनेक रूपों में प्रयोग करने वाले विद्वानों ने इसकी अपार संभावनाओं का वर्णन करते हुए इसे मानवता के लिए अत्यंत लाभकारी बताया है। स्वामी जी के विचार अत्यंत गंभीर और विशाल हैं। इसका वर्णन करना जटिल है किन्तु लेखकों के द्वारा किये गये प्रयास सराहनीय है। आपकी टिप्पणियों और सुझावों की प्रतिक्षा रहेगी।

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